indian national awards लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं
indian national awards लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

सोमवार, 23 नवंबर 2015

तो भारत कब छोड़ रहे हो मि ० परफेक्टनिस्ट ?

आमिर खान ने कहा कि उनकी पत्नी ने उन्हें सुझाव दिया था कि सुरक्षा व्यवस्था का हवाला  देते  हुए कि उन्हें ये देश छोड़ देना चाहिए | मिस्टर आमिर  खान जी ये भारत  हीं है  जो आप और आपकी पत्नी  ऐसे उलूल जूलूल व्यान दे लेते हैं | भारत के क़ानून व्यवस्था तथा संविधान के गुण गाइए  साहब जो आपको वाक् स्वतंत्रता और  अभिव्यक्ति की आजादी की  छूट देता है | वैसे आपने अपनी पत्नी किरण राव जी को जबाब में क्या कहा ये पूरा देश जानना  चाहता है  आपसे | क्या आपने अपनी पत्नी को ये बताया की आपकी फ़िल्में जब लगती हैं तो इस देश के अराजक नागरिक ( आपके पत्नी के अनुसार ) सिनेमा हाल की खिडकियों पर टिकट के लिए पुलिस की लाठियां तक खाते हैं | देश के उन नागरिकों के आपके प्रति जो जूनून है उसका ये सिला आपकी पत्नी देती है | क्या आपने अपनी पत्नी  को समझाया कि स्थितियां कैसी भी उत्पन्न हो जाएँ किन्तु मैं अपना ये देश छोड़ कर कहीं नहीं जाऊँगा | ये मेरा देश है अच्छा या बुरा मेरा प्यारा भारत जिसके लोगों ने मुझे सर आँखों पर बिठाया है | क्या आपने अपनी पत्नी को ये समझाया की इस देश ने मुझे शोहरत और दौलत दोनों से नवाज़ा है | और भारत के लोग जो आपसे प्रेम करते हैं वो बोनस है | पता नहीं आगे आपसे ये देशवासी प्रेम करेंगे या  नहीं लेकिन चिंता न करें इस देश वासियों का हृदय बहुत बड़ा है बहुत बड़ा जितना की आप सोच भी नहीं सकते | ये सब ये तुरंत भूल कर  आपको गले लगा हीं  लेंगे |
मिस्टर आमिर खान जी कहाँ देश की स्थिति भयावह हो गयी है | क्या सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है | क्या चारो तरफ मार काट की स्थिति बनी हुई है | बल्कि इस तरह की आशंका जता कर और आप भोले भाले लोगों में भय का वातावरण पैदा कर रहें हैं | और इस तरह के वातावरण पैदा करना देशद्रोह की श्रेणी में आता है | इस तरह का  कृत्रिम  वातावरण ,  झूठा अराजकता का आभासी माहौल  पैदा करने में आपके वे पुरस्कार लौटाने वाले भी शामिल है जिनके कृत्यों को आपने सही ठहराया  है |
आमिर  साहब ने कहा है “ एक व्यक्ति के तौर पर एक नागरिक के रूप में इस देश के हिस्से के तौर पर हम अखबारों में पढ़ते हैं की क्या हो रहा है हम इसे अखबारों में देखते हैं और निश्चित तौर पर मैं चिंतित हुआ हूँ | मैं इससे इनकार नहीं कर सकता | मैं कई घटनाओं से चिंतित हुआ हूँ |” अब साहब आप पैरिस की घटना पढ़ कर  चिंतित हो रहें हैं  तो  कोई बात नहीं चिंतित होना हीं चाहिए | आमिर साहब आप चिंतित न होवें हमारे देश में वो क्षमता है कि ऐसे ऐसे आतंकवादी घटनाओं को असफल कर देगी | सब एकजुट हो कर ऐसी आपदाओं से लड़ेंगे और मिशाल पैदा करेंगे |
देश में अराजकता या असहिष्णुता जैसा कोई माहौल नहीं है , किन्तु भय ये है की आमिर खान , तथा देश के कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी जिन्होंने पुरस्कार वगैरह लौटा कर देश में एक भययुक्त वातावरण का निर्माण कर रहें हैं जो की ठीक नहीं | अभी भारत की स्थिति बहुत हीं वेहतर है भाई इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि आपके मन में जो कुछ भी आता है और  आप बोल लेते हैं |

असहिष्णुता असहिष्णुता का झूठा रट सुनते सुनते  भय ये है की कहीं लोग वास्तव में असहिष्णु न हो जाएँ | इसलिए देश के मर्यादित लोगों , बुद्धीजीवी लोगों , वरिष्ठ नामचीनी हस्तियों , वैज्ञानिकों , साहित्यकारों से विनम्र निवेदन है जिनको ये लगता है कि देश में असहिष्णुता है ,  कि देश में झूठा माहौल का वातावरण देशवासियों के जेहन में न थोपें | 

गुरुवार, 29 अक्टूबर 2015

पुरस्कार या सम्मान लौटाना देश का अपमान

पता नहीं कौन सी पागलपंती तथाकथित बुद्धिजीवियों पर सवार हुई की दनादन पुरस्कार और सम्मान लौटा रहें हैं |ये सरासर बेहूदापन  है और कुछ नहीं | मात्र  खीझ निकालने के लिए ऐसे कदम उठाना  ठीक नहीं | अगर आप बुद्धिजीवी कहलाते हैं तो थोडा अक्ल  से काम लेना भी सीखे | ये कौन सा रास्ता आपने अख्तियार किया है | क्या इससे विश्व स्तर पर बहुत हीं अच्छा सन्देश जा रहा है ? पुरस्कार , सम्मान लौटाने वाले न सिर्फ अपना बल्कि देश का भी अपमान कर रहें है | इस तरह के कदम उठाने वाले लोग अगर ये सोच कर ऐसे कदम उठा रहें हैं की ये सरकार के प्रति विरोध है तो ये उनकी भूल हीं है | असल में ये देश के प्रति विरोध है क्या इतनी भी बात बुद्धि में नहीं आ रही | इसीलिए मैंने तथाकथित बुद्धिजीवी शब्द का प्रयोग किया है | क्या सरकार का विरोध और देश के विरोध में इन्हें फर्क नहीं दिख रहा | इन्हें इस तरह के सम्मान या पुरस्कार देश ने दिया है न की किसी ख़ास सरकार ने | इस तरह के कदम उठाना सम्पूर्ण देश को गलत साबित करना होगा |

       इस तरह के कदम उठाने वालों का कथन है कि देश में अराजक स्थिति उत्पन्न हो गयी है ! क्या सच में ? जरा दिल पर हाथ रख कर अपने दिल से पूछें की भारत में इतनी अराजकता फ़ैल गयी है की जीना मुहाल हो गया है | मुझे तो इन सब के पीछे  राजनैतिक चाल तथा  षडयंत्रकारी सोच हीं नजर आ रही है | मुझे  तो ऐसी अराजक स्थिति कहीं दिखाई नहीं दे रही ! क्या सड़कों पर चलना मुहाल हो गया है ? क्या सर्वत्र मार काट मची हुई है ? ऐसे कदम उठा कर मात्र वास्तविक स्थिति को बढ़ा चढ़ा कर साबित करने का प्रयास किया जा रहा है और कुछ नहीं | इस तरह के कदम उठाने वाले ऐसे कदमों से बचे वर्ना कालन्तर में ऐसे कदम उठाने के लिए उन्हें कलंकित कृत्य  करार दिया जायेगा | समाज और देश में जब उनके इन कृत्यों की चर्चा होगी तो कोई भी उन्हें सही साबित नहीं कर पायेगा |

जय हिन्द जय भारत !