गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

बधाई नरेंद्र मोदी ,केजरीवाल और बाबा रामदेव को

ये बधाई अकस्मात हीं नहीं निकल आई बल्कि इन शाख्शिय्तों ने लीक से हट कर कुछ ऐसा  करने का प्रयास किया है जो , भविष्य में मिसाल बनेंगी | इसलिए हमारा दायित्व बनता है कि हम इनकी प्रशंशा करें और बधाई दें | माननीय प्रधानमन्त्री जी की भूरी भूरी  प्रशंशा तो पूरा देश करता है | केजरीवाल जी और बाबा रामदेव भी सच्चे  अर्थों में प्रशंशा के पात्र हैं |
        माननीय मोदी साहब ने देश में कुछ नया करने का प्रण  लिया है जो भावी पीढ़ी के लिए सुखद भविष्य का संकेत देता है | सता में आते के साथ इन्होने एक लग्न सी पैदा कर दी और सफाई अभियान चलाने की प्रेरणा दी | इनके एक आह्वान पर देश भर के लोग चाहे वे किसी भी दल के हों सड़कों पर झाडू ले कर उतर आये | स्कूल , कोलेजों यहाँ तक की सरकारी  दफ्तरों में भी सफाई अभियान जोर शोर से चलाया गया | कर्मचारी ,अधिकारी सभी तत्परता से जुटे ये मेरा देखा हुआ है | विश्व स्तर पर योग को एक नयी पहचान दिलाने की इनकी कोशिश किसी से छिपी नहीं है परिणामस्वरूप विश्व भर ने 21 जून को अन्तराष्ट्रीय योग दिवस मनाया | फेसबुक पर एक मुहीम की तरह सेल्फी विथ डॉटर चल पड़ा और कितने लोगों ने अपनी बेटियों के साथ सेल्फी शेयर किया | कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूकता फ़ैलाने का  यह एक सुंदर प्रयास था | माननीय मोदी साहब में एक खासियत है या उनके व्यक्तित्व का प्रभाव की अगर वे किसी विषय पर कोई आह्वान करते हैं तो उनके आह्वान पर  पूरा देश बहुत हीं उत्साह के साथ भाग लेता है | माननीय प्रधानमन्त्री जी से मैं ये गुजारिश करूँगा ( पता नहीं वे ये ब्लॉग पढेगे भी या नहीं ) कि बिच बिच में देश के कुरीतियों , भ्रष्टाचार आदि के खिलाफ एक नए ढंग से देश की  सोई हुई जनता को समय समय पर अपने आह्वानों के द्वारा जगाते रहें |
       केजरीवाल साहब का नाम लेते हीं बहुत से पाठक बंधुओं की त्योरियां चढ़ गयी होंगी J किन्तु मैं ये कहना चाहूँगा इन्होने भी एक नयी पहल की है पर्यावरण में प्रदूष्ण के खिलाफ | इनकी नीतियों पर सवाल भी उठ रहें हैं और मैं जानता  हूँ कि कठिनाईयां भी हैं | किन्तु इन मुद्दों पर सोचना और फिर पहल भी करना कम साहसिक कार्य नहीं है फिर इतनी आलोचनाओं को झेलते हुए | कुछ लोग कहेंगे ये इनका नाटक है अरे भाई अगर ये नाटक  भी है तो  नाटक हीं सही किन्तु देश भर के लोगों का ध्यान वातावरण में फैलते प्रदूषण के खिलाफ तो अवश्य गया है  | और लोग सोचने भी लगे हैं | हमारे देश पर शासन करने वाले नेता पहले तो इस तरह के मुद्दों को गंभीरता से नहीं लेते और लेते भी हैं तो महज कागज की फाइलों में मुद्दा दब जाता | केजरीवाल साहब की खासियत यह हो गयी की ये इस तरह के मुद्दे को जनता के बिच  ले आएं अब ये पीछे भी हटना चाहें तो जनता इन्हें हटने नहीं देगी और जनता चुप हुई तो फिर विपक्षी | माननीय केजरीवाल साहब से अपील करना चाहूंगा की दिल्ली में प्रदूषण लेबल को कम कर देना अब आपकी चुनौती हो गयी है इतने आलोचना और विरोधों के बाद | इसलिए इस मुद्दे को पीछे न छोड़ें | कठिनाईयां हैं किन्तु उन कठिनाइयों पर कैसे विजय प्राप्त किया जाए ये एक प्रशासक की जगह बैठ कर आप बेहतर समझ सकते हैं | आपकी कुर्सी ऊँची है तो वहां से  सम्पूर्ण क्षेत्र पर दृष्टिपात करने का आपको अवसर भी  मिलता है |
       वैश्विक बाजारवाद के क्षेत्र में हमारी उपभोक्तावादी मानसिकता किस कदर गुलाम हो गयी है ये किसी से नहीं छिपा हुआ है | विश्व के अनेकों अनेक देश और वहां की कम्पनियां  अपने उत्पादों के माध्यम से किस कदर गुलाम बनाने पर लगे हुए  हैं ये भी नहीं छिपा हुआ है | हमारे हीं देश के सेलेब्रेटीज कहे जाने वालों के माध्यम से वे अपने उत्पाद हमारे दिमाग में डालते हैं और वे उत्पाद हम पर हावी हो जाते हैं और इधर विदेशी कम्पनियां हमारे देश को लूटते रहते हैं | यही नहीं हमारे हीं देश के प्रतिभाशाली नवयुवकों को मोटी मोटी सैलरियां दे कर हमारे हीं प्रतिभा का भी उपयोग करती हैं ये विदेशी  कम्पनियां | ऐसे में बाबा रामदेव का इनके खिलाफ अपने उत्पाद ले कर खड़े हो जाना कम हिम्मत का कार्य नहीं है | बाबा रामदेव का ये  प्रयास दूरगामी प्रभाव देगा | हमें अपने पैरों पर खड़े होने की शक्ति प्राप्त होगी | बाबा राम देव की प्रशंशा इसलिए भी की उन्होंने नई पहल शुरू की है योग और आयुर्वेद के अलावा उनकी रूचि  FMCG ( Fast Moving Consumer Goods) प्रोडक्ट को भी बाज़ार में लाने में है | FMCG  प्रोडक्ट अगर किसी देशी कम्पनी के हाथ में आ गयी तो हमारा धन विदेश जाने से बचेगा | और विदेशी  कम्पनियां क्या करती हैं हमारे हीं देश के FMCG उत्पादों जैसे  नमक , तेल , आटा आदि पर अपना लेबल लगा कर बेचती हैं |
       तीनों हीं शख्शियत जिनकी मैंने यहाँ चर्चा की नया सोचते हैं हैं और सिर्फ सोचते हीं नहीं बल्कि उस पर कार्य भी करते हैं | और ऐसे विषयों पर नया सोचते हैं जिन पर अगर सकारात्मक  कार्य हुए तो देश में इसके दूरगामी सुखद परिणाम आयेंगे | इसलिए पिछले वर्षों के कार्य के आधार पर  नए वर्ष की शुरुआत में  इनकी प्रशंशा अनिवार्य थी |

और अंत में सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं 

मंगलवार, 8 दिसंबर 2015

इतिहास बना रहें हैं केजरीवाल

माननीय केजरीवाल साहब भी रिस्क लेने वालों की सूची में आ गये हैं | यह बहुत हीं हिम्मत का काम है | रिस्क लेने वालों की सूची में एक नाम इंदिरा गांधी का भी है | जब उन्होंने जनसँख्या नियन्त्रण के लिए जबरन  नसबंदी का कार्यक्रम शुरू किया था सुना है ऐसा मैंने | देश में समस्याएं हैं | इन समस्यायों से निपटारे के लिए रिस्क लेना हीं होगा | 
       दिल्ली में बढ़ते प्रदूष्ण की समस्या से निपटारे के लिए अरविन्द केजरीवाल के दिल्ली सरकार ने कुछ फैसले लेने का निर्णय किया है जो की स्वागत योग्य है | प्रयोग के तौर पर इसे पहले पन्द्रह दिन के लिए लागू किया जायेगा ( समाचार चैनलो के अनुसार ) | इन दिनों दिल्ली में ओड नम्बर की गाड़ियाँ   एक दिन और इवेन नम्बर की गाड़ियाँ एक दिन चलेगी | इससे दिल्ली में चलने वाले मोटर वाहनों में पचास प्रतिशत ( अनुमानित ) तक  कमी आएगी | जिससे दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का ग्राफ कम होने की संभावना है |

       देश की समस्यायों के कुछ मामलों में ऐसे  कठोर और निर्णायक कदम उठाने हीं होंगे | वगैर ऐसे कदम उठाये देश का हित मुश्किल है | हाँ ये सत्य है कि कुछ परेशानियों का सामना भी करना होगा | किन्तु देश हित में कुछ समझौता तो करना हीं होगा | हम सब को चाहिए की इस तरह के कदम उठाये जाने पर अपना सलाह ढंग से दें न की  चिलम पों  मचा दें | किसी व्यक्ति विशेष का विरोध करना है तो बस विरोध करना है इस मानसिकता से निकलना होगा | हाँ जो आपको नहीं जंच रहा है उस सम्बन्ध में ढंग से  शान्तिपूर्वक अपनी सलाह दें |
       आप सभी की तरह मेरे जेहन में भी कुछ जिज्ञासा  हैं और इस सम्बन्ध में  दिल्ली सरकार भविष्य में  क्या निर्णय लेती है देखना चाहूँगा |
1 जिस दिन सम नम्बर की गाड़ियाँ चलेगी उस दिन विषम नम्बर वाली गाड़ियों के लिए क्या विकल्प होगा ठीक इसी तरह विषम गाड़ियों वाले दिन सम नम्बर वाली गाड़ियों  के लिए क्या विकल्प होगा |
2 दिल्ली के बाहर से आने वाली गाड़ियों के लिए क्या विकल्प होगा |
3 . आपातकाल के लिए क्या व्यवस्था होगी जैसे किसी के पास सम नम्बर वाली गाडी है और उस दिन विषम नम्बर वालों की बारी है है ऐसे में सम नम्बर वाली गाडी के मालिक या सम्बन्धी  की तबियत जोरो से खराब हो गयी तो फौरन राहत के लिए अस्पताल पहुँचने के लिए क्या  ऐसे नम्बरों को छूट मिलेगा आदि |
       वैसे सरकार ने कहा है मेडिकल , वी . आई  .पी  वाहनों आदि के उपर ये नियम नहीं लागू होंगे |
दिल्ली सरकार को मेरी तरफ से एक सलाह है कि एलेक्ट्रानिक  रिक्शा , साइकिल रिक्शा , हाथ से खिचे जाने वाले ठेलों आदि को बढ़ावा दे | हाँ ये संसाधान मोटर वाहनों का स्थान तो नहीं पा सकते किन्तु उनकी आंशिक भरपाई अवश्य कर सकते हैं |
       और अंत चलते चलते इतना हीं कहूँगा न मैं कोंग्रेसी हूँ , न मैं आपिया हूँ , न मैं भाजपाई हूँ | या न किसी अन्य दल से हूँ | मैं सत्येन्द्र हूँ और सत्येन्द्र हीं बना रहना चाहूँगा | देश में हो रही गतिबिधियों पर निष्पक्ष राय रखता रहूँगा जो मुझे मेरी समझ से अच्छा लगेगा अच्छा कहूँगा जो उचित नहीं लगेगा उसे अनुचित कहूँगा जोरदार आवाज़ में | अरविन्द केजरीवाल , नरेंद्र मोदी या और कोई भी  प्रशंशा करने लायक कार्य करेंगे तो प्रशंशा करूँगा और जहाँ उनके कार्य अनुचित लगेंगे तो आलोचना भी करूँगा |

       आपलोग भी अपनी वेशकीमती राय अवश्य रखें 

सोमवार, 23 नवंबर 2015

तो भारत कब छोड़ रहे हो मि ० परफेक्टनिस्ट ?

आमिर खान ने कहा कि उनकी पत्नी ने उन्हें सुझाव दिया था कि सुरक्षा व्यवस्था का हवाला  देते  हुए कि उन्हें ये देश छोड़ देना चाहिए | मिस्टर आमिर  खान जी ये भारत  हीं है  जो आप और आपकी पत्नी  ऐसे उलूल जूलूल व्यान दे लेते हैं | भारत के क़ानून व्यवस्था तथा संविधान के गुण गाइए  साहब जो आपको वाक् स्वतंत्रता और  अभिव्यक्ति की आजादी की  छूट देता है | वैसे आपने अपनी पत्नी किरण राव जी को जबाब में क्या कहा ये पूरा देश जानना  चाहता है  आपसे | क्या आपने अपनी पत्नी को ये बताया की आपकी फ़िल्में जब लगती हैं तो इस देश के अराजक नागरिक ( आपके पत्नी के अनुसार ) सिनेमा हाल की खिडकियों पर टिकट के लिए पुलिस की लाठियां तक खाते हैं | देश के उन नागरिकों के आपके प्रति जो जूनून है उसका ये सिला आपकी पत्नी देती है | क्या आपने अपनी पत्नी  को समझाया कि स्थितियां कैसी भी उत्पन्न हो जाएँ किन्तु मैं अपना ये देश छोड़ कर कहीं नहीं जाऊँगा | ये मेरा देश है अच्छा या बुरा मेरा प्यारा भारत जिसके लोगों ने मुझे सर आँखों पर बिठाया है | क्या आपने अपनी पत्नी को ये समझाया की इस देश ने मुझे शोहरत और दौलत दोनों से नवाज़ा है | और भारत के लोग जो आपसे प्रेम करते हैं वो बोनस है | पता नहीं आगे आपसे ये देशवासी प्रेम करेंगे या  नहीं लेकिन चिंता न करें इस देश वासियों का हृदय बहुत बड़ा है बहुत बड़ा जितना की आप सोच भी नहीं सकते | ये सब ये तुरंत भूल कर  आपको गले लगा हीं  लेंगे |
मिस्टर आमिर खान जी कहाँ देश की स्थिति भयावह हो गयी है | क्या सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया है | क्या चारो तरफ मार काट की स्थिति बनी हुई है | बल्कि इस तरह की आशंका जता कर और आप भोले भाले लोगों में भय का वातावरण पैदा कर रहें हैं | और इस तरह के वातावरण पैदा करना देशद्रोह की श्रेणी में आता है | इस तरह का  कृत्रिम  वातावरण ,  झूठा अराजकता का आभासी माहौल  पैदा करने में आपके वे पुरस्कार लौटाने वाले भी शामिल है जिनके कृत्यों को आपने सही ठहराया  है |
आमिर  साहब ने कहा है “ एक व्यक्ति के तौर पर एक नागरिक के रूप में इस देश के हिस्से के तौर पर हम अखबारों में पढ़ते हैं की क्या हो रहा है हम इसे अखबारों में देखते हैं और निश्चित तौर पर मैं चिंतित हुआ हूँ | मैं इससे इनकार नहीं कर सकता | मैं कई घटनाओं से चिंतित हुआ हूँ |” अब साहब आप पैरिस की घटना पढ़ कर  चिंतित हो रहें हैं  तो  कोई बात नहीं चिंतित होना हीं चाहिए | आमिर साहब आप चिंतित न होवें हमारे देश में वो क्षमता है कि ऐसे ऐसे आतंकवादी घटनाओं को असफल कर देगी | सब एकजुट हो कर ऐसी आपदाओं से लड़ेंगे और मिशाल पैदा करेंगे |
देश में अराजकता या असहिष्णुता जैसा कोई माहौल नहीं है , किन्तु भय ये है की आमिर खान , तथा देश के कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी जिन्होंने पुरस्कार वगैरह लौटा कर देश में एक भययुक्त वातावरण का निर्माण कर रहें हैं जो की ठीक नहीं | अभी भारत की स्थिति बहुत हीं वेहतर है भाई इस बात का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि आपके मन में जो कुछ भी आता है और  आप बोल लेते हैं |

असहिष्णुता असहिष्णुता का झूठा रट सुनते सुनते  भय ये है की कहीं लोग वास्तव में असहिष्णु न हो जाएँ | इसलिए देश के मर्यादित लोगों , बुद्धीजीवी लोगों , वरिष्ठ नामचीनी हस्तियों , वैज्ञानिकों , साहित्यकारों से विनम्र निवेदन है जिनको ये लगता है कि देश में असहिष्णुता है ,  कि देश में झूठा माहौल का वातावरण देशवासियों के जेहन में न थोपें | 

रविवार, 8 नवंबर 2015

बिहार चुनाव परिणाम : एक विश्लेष्ण

बिहार में चुनाव परिणाम आ गये | भाजपा को शिकस्त मिली और बडबोलेपन को करारा जबाब भी दिया गया | आखिर कर भाजपा को हार क्यों मिली इसमें चुनावी दिग्गज विश्लेष्ण में जुटे हुए हैं | ये बिहार की जनता है इनके मूड भापना अच्छों अच्छों के वश के बाहर की बात है |
जहाँ तक मैं समझता हूँ भाजपा के चुनावी हार और महागठबंधन  के विजय के पीछे निम्नलिखित फैक्टर रहा होगा ये अनुमान मात्र है |
1 मोदी साहब कुछ ज्यादा हीं बोल गए ख़ास कर नितीश कुमार के डी. एन . ए .पर सवाल उठा कर | व्यक्तिगत निशाना लगाने  से बाज आना चाहिए चाहे कोई भी हो | नितीश कुमार ने इस व्यान को बहुत हीं सफाई से अपने तथा बिहार की जनता के स्वाभिमान का सवाल बना दिया अंतत: नितीश जी के पक्ष में  सकारात्मक परिणाम आये |
2 . जातिवाद : बिहार में जातिवाद की मानसिकता को जो समझेगा वह यहाँ राज करेगा | बिहार के क्षेत्रीय नेता इस बात को बखूबी समझते हैं खास कर लालू यादव  |  लालू यादव ने इस चुनाव में इस मुद्दे को बखूबी भंजाया अगड़े पिछड़े का व्यान दे कर | भाजपाई नेता इसे समझ न सके ख़ास कर क्षेत्रीय भाजपाई नेता | हालाकि इस मामले में भाजपा ने जीतन राम मांझी और राम विलास पासवान को बैक डोर पर रखा था ये कभी सामने नहीं आये लालू यादव की तरह | बिहार को जातिवाद के मानसिकता से निकलने में अभी बहुत समय लगेगा यहाँ विकास मुद्दा नहीं बन सकता |

3 बिहार की जनता के स्वाभिमान पर अमित शाह जी ने भी एक बार फिर  चोट किया जब उन्होंने कहा कि अगर गलती से भाजपा चुनाव हारती  है तो पाकिस्तान में पटाखे फूटेंगे | इस तरह के व्यान को भी लालू यादव जैसे दिग्गज ने बिहारियों के स्वाभिमान से जोड़ दिया और इस तरह के सन्देश को फैलाया की बिहार में रहने वाले पाकिस्तानी नहीं हैं |
       कुल मिलाकर फिर से बिहार के चुनावी परिणाम ये बताते हैं कि यहाँ जातिवाद पर अभी विजय नहीं मिला है | भाजपा सवर्णों को नाराज नहीं करना चाहती थी इसलिए इसका खामियाजा हार के रूप में मिला | नितीश कुमार जब भाजपा के साथ थे तब उन्होंने ने सवर्णों को संतुष्ट करने की कोशिश अवश्य की थी चाहे उनकी मजबूरी हीं क्यों न रही हो | देखना ये है की हमारा बिहार कब इस मानसिकता से बाहर आता है | कब कोई नेता सभी सम्पूर्ण बिहार की जनता  के हित की बात करता है |
       सरकार किसी की  भी आये किन्तु हित  सारे बिहार की जनता का सोचना चाहिए और ये भी की जाती धर्म से उपर उठ कर बिहार को एक विकसित राज्य की श्रेणी में खड़ा करे |
जय हिन्द जय भारत


गुरुवार, 29 अक्तूबर 2015

पुरस्कार या सम्मान लौटाना देश का अपमान

पता नहीं कौन सी पागलपंती तथाकथित बुद्धिजीवियों पर सवार हुई की दनादन पुरस्कार और सम्मान लौटा रहें हैं |ये सरासर बेहूदापन  है और कुछ नहीं | मात्र  खीझ निकालने के लिए ऐसे कदम उठाना  ठीक नहीं | अगर आप बुद्धिजीवी कहलाते हैं तो थोडा अक्ल  से काम लेना भी सीखे | ये कौन सा रास्ता आपने अख्तियार किया है | क्या इससे विश्व स्तर पर बहुत हीं अच्छा सन्देश जा रहा है ? पुरस्कार , सम्मान लौटाने वाले न सिर्फ अपना बल्कि देश का भी अपमान कर रहें है | इस तरह के कदम उठाने वाले लोग अगर ये सोच कर ऐसे कदम उठा रहें हैं की ये सरकार के प्रति विरोध है तो ये उनकी भूल हीं है | असल में ये देश के प्रति विरोध है क्या इतनी भी बात बुद्धि में नहीं आ रही | इसीलिए मैंने तथाकथित बुद्धिजीवी शब्द का प्रयोग किया है | क्या सरकार का विरोध और देश के विरोध में इन्हें फर्क नहीं दिख रहा | इन्हें इस तरह के सम्मान या पुरस्कार देश ने दिया है न की किसी ख़ास सरकार ने | इस तरह के कदम उठाना सम्पूर्ण देश को गलत साबित करना होगा |

       इस तरह के कदम उठाने वालों का कथन है कि देश में अराजक स्थिति उत्पन्न हो गयी है ! क्या सच में ? जरा दिल पर हाथ रख कर अपने दिल से पूछें की भारत में इतनी अराजकता फ़ैल गयी है की जीना मुहाल हो गया है | मुझे तो इन सब के पीछे  राजनैतिक चाल तथा  षडयंत्रकारी सोच हीं नजर आ रही है | मुझे  तो ऐसी अराजक स्थिति कहीं दिखाई नहीं दे रही ! क्या सड़कों पर चलना मुहाल हो गया है ? क्या सर्वत्र मार काट मची हुई है ? ऐसे कदम उठा कर मात्र वास्तविक स्थिति को बढ़ा चढ़ा कर साबित करने का प्रयास किया जा रहा है और कुछ नहीं | इस तरह के कदम उठाने वाले ऐसे कदमों से बचे वर्ना कालन्तर में ऐसे कदम उठाने के लिए उन्हें कलंकित कृत्य  करार दिया जायेगा | समाज और देश में जब उनके इन कृत्यों की चर्चा होगी तो कोई भी उन्हें सही साबित नहीं कर पायेगा |

जय हिन्द जय भारत !

बुधवार, 28 अक्तूबर 2015

बंद करो मोदी मोदी का राग !

मेरा मोदी भक्तो से सादर अनुरोध है कि वे वजह मोदी मोदी न करें | किसी की प्रशंशा तो ठीक है किन्तु किसी की अंधभक्ति ठीक नहीं | मोदी साहब अगर प्रशंशनीय कार्य करें तो निश्चित हीं उनकी प्रशंशा होनी चाहिए , किन्तु अंध भक्ति ठीक नहीं | पिछले दिनों सोसल मीडिया पर अंध भक्तों की बाढ़ आई हुई है | जरा सा कोई नरेंद्र मोदी जी का नाम ले कर कोई आलोचनात्मक बात करो की बस शुरू हो जाते हैं | गाली  गलौज तक पर उतर आते हैं |
       मेरा कहना साफ़ है दो बातें होती हैं पहला कि अगर किसी की  आलोचना शिकायत हो तो इसका मतलब हुआ बंदे  में कुछ अच्छा गुण है इसलिए विरोध हो रहा है | दूसरी बात किसी  के गुण दोषों की  आलोचना अवश्य होनी चाहिए ये स्वच्छ पारदर्शिता की निशानी है | इससे किसी को स्वयं के अवलोकन करने का मौका मिलता है तथा उस व्यक्ति से सम्बन्धित व्यक्ति को भी नया नजरिया मिलता है  | अगर मैं किसी की सिर्फ प्रशंसा हीं प्रशंसा करूँ  और उसके दुर्गुणों को नकार दूं तो ये सम्बन्धित व्यक्ति के प्रति अन्याय होगा | आलोचनात्मक विचारों को स्वीकार करना और उस पर शालीनता से  प्रतिक्रिया देना खुले मानसिकता का परिचायक होता है | हमें अपने देश को अग्रिम पंक्तियों में रखना है तो अपनी मानसिकता को विस्तृत करना होगा और एक निष्पक्ष दृष्टिकोण पैदा करना होगा |

       अंततः यही कहना चाहूंगा प्रशंसा शौक से करें किन्तु आलोचनाएँ भी स्वीकारें ये आपके खुले मानसिकता का परिचायक होगा |

रविवार, 25 अक्तूबर 2015

छोटी छोटी बे मकसद बातों से बचें मोदी साहब

पिछले दिनों एक विडियो वायरल हुआ जिसमे बिहार के मुख्यमंत्री श्री नितीश कुमार किसी तांत्रिक से मिल रहे हैं |इस विडियो में वह तांत्रिक नितीश कुमार को गले लगा रहा है और “ नितीश जिंदाबाद ” तथा “ लालू मुर्दाबाद ”के नारे लगा रहा है | खूब चर्चा हुई इस विडियो की हमारे नेताओं ने भी चर्चा की तथा मिडिया में भी चर्चा हुई | चर्चाएँ इसलिए हुई की नितीश और लालू जी के गठबंधन के वावजूद नितीश जी के समीप कोई “ लालू मुर्दाबाद ” के नारे क्यों  लगा रहा है और नितीश जी चुपचाप सुन रहें हैं | अभी इशारों इशारों में मोदी साहब भी नालंदा के एक रैली में नितीश कुमार को लोक .... तांत्रिक नितीश कुमार कहा | अर्थात इस विषय पर चुटकी लि उन्होंने |
       इस विषय को उठाने का मेरा  मकसद कुछ बिन्दुओं पर चर्चा करना है की आखिर नितीश जी उस तांत्रिक से मिलने क्यों गयें क्या वे चुनावों में विजय हेतु किसी तांत्रिक का सहारा लेना चाह रहें हैं | अगर ये सत्य है तो नितीश साहब की मानसिकता सही नहीं | हाँ अगर अपने किसी व्यक्तिगत कारण या श्रधा वश मिलने गएँ हों तो कोई बात नहीं | दूसरी बात अगर तांत्रिक “ लालू मुर्दाबाद ” के नारे लगा रहा है तो वह उसकी मर्ज़ी | वैसे भी तांत्रिक बहुत हीं मूडियल होतें हैं कब किसे क्या कह दें या गाली गलौज कर दें कोई ठिकाना नहीं | वैसे वह तांत्रिक विडियो में जिस प्रकार से नितीश जी को बार बार गले लगा रहा है उसे देख कर तांत्रिक का नितीश जी के प्रति  निश्चल प्रेम हीं झलकता है |


       तीसरी बात मोदी साहब का – मोदी जी भी इस चर्चित मुद्दे को चुनावों में भुनाना नहीं भूले वे  भी चुटकी लेने से बाज नहीं आयें  | मोदी साहब सारा देश आपके तरफ उम्मीद भरी निगाह से देख रहा है ख़ास कर बिहार जैसे राज्य | बिहार राज्य अपने विकास के लिए तरस  रहा है | ऐसे  में मोदी जी और यहाँ ( बिहार ) के अनेकों नेताओं से बहुत अपेक्षा है | ख़ास कर अपने प्रधानमन्त्री जी से | और ऐसे में इस तरह की छोटी छोटी बे मकसद  बातों में रूचि दिखाना  ठीक नहीं माननीय प्रधानमन्त्री महोदय |
       उम्मीद है बिहार का हर हाल में विकास होगा चाहे मोदी साहब की भाजपा जीते , नितीश जी की पार्टी  जीतें , लालू यादव की पार्टी जीते या मांझी जी की पार्टी जीते |

       जय हिन्द जय भारत 

शनिवार, 24 अक्तूबर 2015

भटक गएँ है मोदी

मोदी साहब आये दिनों सिर्फ विदेश यात्रा के कारण चर्चा में बने रहते हैं | अभी मोदी साहब के शासन का आरम्भिक काल है | मोदी साहब जितना विदेश दौरा करते हैं अगर उतना हीं देश के सभी भागों का दौरा करें तो सोने पे सुहागा हो जाए | किन्तु ये देश के अंदर तभी दौरा करते हैं जब राज्यों में चुनाव हो या फिर कोई बहुत हीं बड़ा आयोजन हो जैसे अभी आंध्र में दिखाई दिए | मोदी साहब के साफ़ सफाई अभियान से एक बार तो आशा जगी थी की ये देश के छोटे छोटे और मौलिक समस्याओं पर ध्यान देंगे किन्तु फिलहाल ऐसा दिखाई नहीं देता | पिछले दिनों देश में अनेक स्थानों पर साम्प्रदायिक भावनाओं का उथल पुथल नजर आया किन्तु , मानननीय प्रधानमत्री साहब मजबूती से कहीं खड़े दिखाई नहीं दिए | प्रधानमन्त्री साहब से आग्रह है की देश की मूलभूत समस्याओं पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देते तो बेहतर होता जैसे किसानों को अधिक से अधिक  सहायता पहुंचाना | विद्यार्थियों और बेरोजगारों को रोजगार उत्पन्न कराना | और सबसे बड़ी समस्या महंगाई पर नियन्त्रण | पिछले दिनों खाद्य पदार्थों के भाव आसमान छू रहें हैं किन्तु मोदी साहब इस समस्या पर बिलकुल मौन हैं | माननीय प्रधानमन्त्री महोदय देश की छोटी छोटी समस्याओं को दूर करने का प्रयास आपसे अपेक्षित है | धार्मिक उन्माद , जातिगत उन्माद समाज में कटुता उत्पन्न करती है | इन मुद्दों पर आप मजबूती के साथ खुल कर नहीं आयें हैं क्या कारण हो सकता है इसका |
       माननीय प्रधानमन्त्री महोदय आपसे आग्रह है की छोडिये विकास फिकास आप बस देश की सम्पूर्ण  जनता को दो जून की सस्ती रोटी दाल  तथा शान्ति पूर्वक रहने की व्यवस्था मात्र कर दें | ये समस्याएं दूर हो गयीं तो यहाँ की जनता खुद विकास के मार्ग पर अग्रसर होने लगेगा |
जय हिन्द जय भारत 

जरा जुबान संभाल के जनरल साहब

फरीदाबाद के सुनपेड गाँव में दलित बच्चे को जलाया गया | वर्तमान भारत में जहाँ भारत अपने विकास को मुद्दा बना कर विकसित राष्ट्र की श्रेणी में आना चाह रहा है वहीँ भारत के एक क्षेत्र में ऐसी दुखद घटना घटी है | पूर्व में जनरल रह चुके वर्तमान में भाजपा के नेता श्री बी के सिंह जी का व्यान आता है “ अगर कोई पत्थर मार दे कुते को तो उसके लिए भी सरकार को जिम्मेदार ठहराने का क्या मतलब है |” मतलब तो है साहब – अगर देश में एक चींटी की भी जान जाती है तो इसके लिए सरकार को जिम्मेदारी लेनी पड़ेगी तभी सरकार की उपलब्धता है वर्ना सरकारें तो और भी कई देशों में हैं | और यहाँ तो बच्चे को जिन्दा जला दिया गया | क्या संवेदना मर गई | जनरल साहब ने इस पर ऐसी प्रतिक्रिया दी मानो यह एक साधारण घटना हो | अरे जान गयी थी साहब कोई साधारण घटना नहीं थी यह | और इसकी पूरी की पूरी जिम्मेदारी सरकार की बनती है इससे सरकार भाग नहीं सकती | जनरल साहब उचित तो यह होता कि आप चुप रह जाते और मामले को अपने स्तर से देखते , किन्तु आपका व्यान दुखी कर गया | आप तो ऐसा नही कहते कम से कम  देश की सेना के सर्वोच्च पद पर  आसीन थे आप कभी |
 जहाँ बात इंसान के जान की हो वहां हमारे राजनीतिज्ञों को चुप हीं रहना चाहिए अगर संवेदना नहीं प्रकट कर सकते तो | जनरल साहब ने बाद में ये जताया की उनकी ये भावना नहीं थी चलिए मान लेते हैं की आपकी भावना ये थी की यह एक साधारण घटना है सरकार इसमें क्या करे | साहब सरकार को हीं अपनी व्यवस्था दुरुस्त रखनी होती है ताकि इस तरह घटनाएँ न घटित हों और आप कहते हैं .....................
खैर बात आई गयी हो गयी जाने जाती रहेंगी लोग अपनी प्रतिक्रिया देते रहेंगे सरकारे चलती रहेंगी जनता त्राहि माम त्राहि माम करती रहेगी

जय हिन्द जय भारत   

राजनीति

राजनीति के भूलभुलैया में मानव मूल्यों  की कोई कीमत नहीं | राजनीती एवं संवेदनहीनता एक दुसरे के पर्याय हैं |
वर्तमान में राजनीति ने अपने वास्तविक अर्थ को खो दिया है | राजनीति आज धंधा है और बेजोड़ धंधा है | इस धंधे के छुटभैये भी चांदी काटते हैं | राजनीति में अगर आपका भाग्य  भी खराब हो तो आप सिकन्दर हीं हैं | अगर आप एक दबंग राजनीतिज्ञ हैं तो फिर भैया आपकी मौजा हीं मौजा है | राजनितज्ञ बनने के लिए कोई विशेष योग्यता की जरूरत नहीं है | बस आप अपना  नैतिक पतन करते जाइए और राजनीतिज्ञ बन जाइए | जितना अधिक आपका नैतिक  पतन होगा उतना हीं मंझे हुए राजनितज्ञ कहलायेंगे आप | आप मानवीय गुणों से निचे गिरते जाइए और राजनितज्ञ निखार पाते जाइए |

       प्रखर राजनीतिज्ञ बनने के लिए आपको चिलम पों करना भी आना चाहिए | और हाँ आपको घोटाले करने भी आने चाहिए | अपने दोष किसी और पर मढ़ीये और देह हाथ झार कर बेदाग़ निकलिए | राजनीति में आपका वर्चस्व बढ़ने पर आपको धन की कोई कमी नहीं होगी | आपके आगे पीछे चलने वाले आपकी चाटुकारिता करने वाले की कोई कमी नहीं रहेगी |
       अगर आप मंझे हुए राजनीतिज्ञ हैं तो ये देश आपके इशारों पर नाचेगा | लोग आपके इशारों पर नाचेंगे | आप अगर एक ईशारा कर दें तो लोग मरने कटने पर उतारू हो जायेंगे |

       समय आ चुका है कि राजनीति आज अपना अर्थ बदले | लोगों के दिलों में राजनीति और राजनीतिज्ञ के लिए सम्मान हो | आज आवश्यकता है राजनीति को एक नई परिभाषा से जाना जाए | 



तस्वीर http://artroots.info/ से साभार प्राप्त