गुरुवार, 31 दिसंबर 2015

बधाई नरेंद्र मोदी ,केजरीवाल और बाबा रामदेव को

ये बधाई अकस्मात हीं नहीं निकल आई बल्कि इन शाख्शिय्तों ने लीक से हट कर कुछ ऐसा  करने का प्रयास किया है जो , भविष्य में मिसाल बनेंगी | इसलिए हमारा दायित्व बनता है कि हम इनकी प्रशंशा करें और बधाई दें | माननीय प्रधानमन्त्री जी की भूरी भूरी  प्रशंशा तो पूरा देश करता है | केजरीवाल जी और बाबा रामदेव भी सच्चे  अर्थों में प्रशंशा के पात्र हैं |
        माननीय मोदी साहब ने देश में कुछ नया करने का प्रण  लिया है जो भावी पीढ़ी के लिए सुखद भविष्य का संकेत देता है | सता में आते के साथ इन्होने एक लग्न सी पैदा कर दी और सफाई अभियान चलाने की प्रेरणा दी | इनके एक आह्वान पर देश भर के लोग चाहे वे किसी भी दल के हों सड़कों पर झाडू ले कर उतर आये | स्कूल , कोलेजों यहाँ तक की सरकारी  दफ्तरों में भी सफाई अभियान जोर शोर से चलाया गया | कर्मचारी ,अधिकारी सभी तत्परता से जुटे ये मेरा देखा हुआ है | विश्व स्तर पर योग को एक नयी पहचान दिलाने की इनकी कोशिश किसी से छिपी नहीं है परिणामस्वरूप विश्व भर ने 21 जून को अन्तराष्ट्रीय योग दिवस मनाया | फेसबुक पर एक मुहीम की तरह सेल्फी विथ डॉटर चल पड़ा और कितने लोगों ने अपनी बेटियों के साथ सेल्फी शेयर किया | कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ जागरूकता फ़ैलाने का  यह एक सुंदर प्रयास था | माननीय मोदी साहब में एक खासियत है या उनके व्यक्तित्व का प्रभाव की अगर वे किसी विषय पर कोई आह्वान करते हैं तो उनके आह्वान पर  पूरा देश बहुत हीं उत्साह के साथ भाग लेता है | माननीय प्रधानमन्त्री जी से मैं ये गुजारिश करूँगा ( पता नहीं वे ये ब्लॉग पढेगे भी या नहीं ) कि बिच बिच में देश के कुरीतियों , भ्रष्टाचार आदि के खिलाफ एक नए ढंग से देश की  सोई हुई जनता को समय समय पर अपने आह्वानों के द्वारा जगाते रहें |
       केजरीवाल साहब का नाम लेते हीं बहुत से पाठक बंधुओं की त्योरियां चढ़ गयी होंगी J किन्तु मैं ये कहना चाहूँगा इन्होने भी एक नयी पहल की है पर्यावरण में प्रदूष्ण के खिलाफ | इनकी नीतियों पर सवाल भी उठ रहें हैं और मैं जानता  हूँ कि कठिनाईयां भी हैं | किन्तु इन मुद्दों पर सोचना और फिर पहल भी करना कम साहसिक कार्य नहीं है फिर इतनी आलोचनाओं को झेलते हुए | कुछ लोग कहेंगे ये इनका नाटक है अरे भाई अगर ये नाटक  भी है तो  नाटक हीं सही किन्तु देश भर के लोगों का ध्यान वातावरण में फैलते प्रदूषण के खिलाफ तो अवश्य गया है  | और लोग सोचने भी लगे हैं | हमारे देश पर शासन करने वाले नेता पहले तो इस तरह के मुद्दों को गंभीरता से नहीं लेते और लेते भी हैं तो महज कागज की फाइलों में मुद्दा दब जाता | केजरीवाल साहब की खासियत यह हो गयी की ये इस तरह के मुद्दे को जनता के बिच  ले आएं अब ये पीछे भी हटना चाहें तो जनता इन्हें हटने नहीं देगी और जनता चुप हुई तो फिर विपक्षी | माननीय केजरीवाल साहब से अपील करना चाहूंगा की दिल्ली में प्रदूषण लेबल को कम कर देना अब आपकी चुनौती हो गयी है इतने आलोचना और विरोधों के बाद | इसलिए इस मुद्दे को पीछे न छोड़ें | कठिनाईयां हैं किन्तु उन कठिनाइयों पर कैसे विजय प्राप्त किया जाए ये एक प्रशासक की जगह बैठ कर आप बेहतर समझ सकते हैं | आपकी कुर्सी ऊँची है तो वहां से  सम्पूर्ण क्षेत्र पर दृष्टिपात करने का आपको अवसर भी  मिलता है |
       वैश्विक बाजारवाद के क्षेत्र में हमारी उपभोक्तावादी मानसिकता किस कदर गुलाम हो गयी है ये किसी से नहीं छिपा हुआ है | विश्व के अनेकों अनेक देश और वहां की कम्पनियां  अपने उत्पादों के माध्यम से किस कदर गुलाम बनाने पर लगे हुए  हैं ये भी नहीं छिपा हुआ है | हमारे हीं देश के सेलेब्रेटीज कहे जाने वालों के माध्यम से वे अपने उत्पाद हमारे दिमाग में डालते हैं और वे उत्पाद हम पर हावी हो जाते हैं और इधर विदेशी कम्पनियां हमारे देश को लूटते रहते हैं | यही नहीं हमारे हीं देश के प्रतिभाशाली नवयुवकों को मोटी मोटी सैलरियां दे कर हमारे हीं प्रतिभा का भी उपयोग करती हैं ये विदेशी  कम्पनियां | ऐसे में बाबा रामदेव का इनके खिलाफ अपने उत्पाद ले कर खड़े हो जाना कम हिम्मत का कार्य नहीं है | बाबा रामदेव का ये  प्रयास दूरगामी प्रभाव देगा | हमें अपने पैरों पर खड़े होने की शक्ति प्राप्त होगी | बाबा राम देव की प्रशंशा इसलिए भी की उन्होंने नई पहल शुरू की है योग और आयुर्वेद के अलावा उनकी रूचि  FMCG ( Fast Moving Consumer Goods) प्रोडक्ट को भी बाज़ार में लाने में है | FMCG  प्रोडक्ट अगर किसी देशी कम्पनी के हाथ में आ गयी तो हमारा धन विदेश जाने से बचेगा | और विदेशी  कम्पनियां क्या करती हैं हमारे हीं देश के FMCG उत्पादों जैसे  नमक , तेल , आटा आदि पर अपना लेबल लगा कर बेचती हैं |
       तीनों हीं शख्शियत जिनकी मैंने यहाँ चर्चा की नया सोचते हैं हैं और सिर्फ सोचते हीं नहीं बल्कि उस पर कार्य भी करते हैं | और ऐसे विषयों पर नया सोचते हैं जिन पर अगर सकारात्मक  कार्य हुए तो देश में इसके दूरगामी सुखद परिणाम आयेंगे | इसलिए पिछले वर्षों के कार्य के आधार पर  नए वर्ष की शुरुआत में  इनकी प्रशंशा अनिवार्य थी |

और अंत में सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं 

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